मुझे अपनी मदरलैंड से इतना प्यार है कि जब भी शूटिंग के लिए निर्माता लोकेशन देख रहे होते हैं तो मैं उन्हें ऊटी या गोवा की जगह उत्तराखंड में शूटिंग की सलाह देती हूं। आइए अब जानते हैं मस्त एवं अल्ह्ड़ जवानी की मल्लिका उदिता की पसंद-नापसंद और सफर की दास्तान।
डाइट
ब्रेकफस्ट में उदिता को ब्राउन ब्रेड खाना पसंद है, साथ में चिकन सैंडविच भी हो तो कहना ही क्या! साथ में जूस या दूध लेती हैं। दोपहर के खाने में हेल्दी डाइट लेना पसंद है। वह कहती हैं, मैं सोया आटे से बनी दो चपाती, चिकन करी, चावल के साथ सैलेड जरूर लेती हूं। डेजर्ट भी पसंद है मुझे, लेकिन उसे खाते-खाते वजन नियंत्रण में नहीं रहता, इसलिए उससे परहेज करती हूं मैं। ऑयली चीजों से भी दूर रहती हूं मैं। डिनर के बाद कोई फल जरूर खाती हूं और टहलती भी जरूर हूं। पानी मैं दिन भर में आठ दस ग्लास पीती हूं। उसमें कभी मैं शहद और नीबू मिला पानी होता है, तो कभी-कभी नारियल पानी।
मेकअप
मेकअप में मैं अपनी आंखों का विशेष खयाल रखती हूं। मुझे काजल, आईलाइनर और मस्कारा लगाना पसंद है। लिपस्टिक के स्थान पर लिपलाइनर लगाना पसंद करती हूं मैं। सप्ताह में एक बार अपने बालों में तेल जरूर लगाती हूं और उनकी ट्रिमिंग का भी खयाल रखती हूं। क्रीम मैं मेडिकेटिड लगाती हूं और रात को सोने से पहले नाइट क्रीम जरूर लगाती हूं।
फिटनेस
मेरा कोई फिटनेस ट्रेनर नहीं, पर फिटनेस के लिए मैं प्रतिदिन दो घंटे एक्सरसाइज करती हूं, जिसमें कार्डियोवस्कुलर, पुशअप्स शामिल है। मेरा मानना है कि जीवन में कामयाब होना है तो सेहत के प्रति सजग रहना बहुत जरूरी है और उससे भी ज्यादा जरूरी है अनुशासन में रहना।

फिल्मी सफर
अपनी 2003 की शुरुआती फिल्म पाप व सन 2005 की जहर के असफल होने का उन्हें जरा भी अफसोस नहीं। उनका कहना है कि, फिल्में तो एक से बडे एक सिने स्टारों की असफल होती हैं, मेरे काम व मेरे पात्र को दर्शकों ने सराहा, यह क्या कम बात है। पाप मेरे लिए वैसे भी विशेष है, क्योंकि इस फिल्म ने मुझे बहुत कुछ दिया, जिसमें आत्मविश्वास मुख्य है। किससे प्यार करूं में मेरा शीतल का पात्र मेरे वास्तविक चरित्र से एकदम मेल खाता है। कॉमेडी फिल्म अमर जोशी शहीद हो गए को लेकर वह बहुत उत्साहित रहीं। उनका विश्वास था कि दर्शक उनका यह रोल देख कर चौंके होंगे। अनंत महादेवन की अकसर भी उनकी पसंदीदा फिल्मों में से है, जहां उन्हें कुछ करने का अवसर मिला व कुछ करके मजा भी आया। वह कहती हैं अकसर के गाने और मैं दोनों ही दर्शकों को लंबे समय तक मेरी याद दिलाते रहेंगे।
जगह बनाना आसान नहीं
उदिता का मानना है कि बोल्ड व आकर्षक छवि हो भी, तब भी ग्लैमर वर्ल्ड में किसी के लिए अपनी जगह बनाना आसान नहीं। मैं बना पाई, इसके लिए अपने को खुशकिस्मत मानती हूं। फिल्मों में पात्र या सीन की जो डिमांड होती है, उसके अनुसार सीन देने में मुझे कोई एतराज नहीं होता। मैं इसे प्रोफेशन का एक हिस्सा मानती हूं। जमाना बदल गया है। फिल्म देखने वालों की पसंद भी तेजी से बदल रही है, यदि इतने बदलाव आए हैं तो हमें भी तो समय के साथ चलना होगा।
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