जिस मां को युवा अवस्था से ही संतुलित भोजन नहीं मिलता उसके कम वजन वाले बच्चे के पैदा होने की संभावना काफी बढ़ जाती है और फिर यह चक्र पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है। अपर्याप्त भोजन या विश्राम, धूम्रपानर, संक्रमण, वे सांस्कृतिक प्रथाएं जिनके कारण गर्भावस्था के दौरान महिला को अच्छी खुराक नहीं देते ताकि उसका वजन अधिक न हो जाए, और लंबे समय तक शारीरिक श्रम करते रहने से कम वजन वाला बच्चा पैदा के अवसर अधिक हो जाते हैं।
गर्भों के मध्य समय का अंतराल न होने और बार-बार गर्भधारण करने से भी अधिक जोखिम बढ़ जाता है।
विटामिन ए, आयोडिन, फोलेट, जिंक जैसे अन्य सूक्ष्म पौष्टिक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में न लेने के कारण मां और भ्रूण दोनों पर तथा गर्भ में पल रहै बच्चे पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
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