.इस रिपोर्ट के सह-लेखक प्रोफेसर टिम स्पैक्टर का कहना था, 'कुछ महिलाएं यह दलील दे सकती हैं कि विशेष खान-पान और कसरत की वजह से जी-स्पॉट बन सकता है लेकिन असल में जी-स्पॉट जैसी किसी चीज के कोई निशान ही नहीं मिल सके हैं।'
स्टडी में शामिल 56 पर्सेंट महिलाओं को लगता है कि जब वह यंगी थीं या फिर सेक्सुअली ज्यादा एक्टिव थीं, तब उनमें जी-स्पॉट था। प्रोफेसर टिम स्पैक्टर के सहयोगी एंड्री बर्री इस बात पर चिंतित थीं कि ऐसी महिलाएं जो ये सोचती हैं कि उनके अंदर जी-स्पॉट नहीं है, वो खुद को सेक्स संबंधों के लिए अनफिट समझ सकती हैं। उनके मुताबिक इस फिक्र की कोई जरूरत नहीं है। एंड्री बर्री का कहना था, 'ऐसी किसी चीज की मौजूदगी का दावा करना गैरजिम्मेदारी की बात है जिसका वजूद कभी साबित ही नहीं हुआ है और इससे महिलाओं और पुरुषों दोनों पर ही व्यर्थ में ही दबाव बनता है।'
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