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is it right in the artificial insemination method, a married woman needs to come into direct contact with the men?
क्या कृत्रिम गर्भाधान विधि में विवाहित स्त्री को किसी पर पुरुष के सीधे संपर्क में आने की जरूरत होती है? |
कृत्रिम गर्भाधान विधि में विवाहित स्त्री को किसी पर पुरुष के सीधे संपर्क में आने की जरूरत नहीं होती। स्त्री जब सामान्य तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाती वैसी स्थिति में कृत्रिम गर्भाधान विधि अपनाई जाती है। स्त्री के गर्भाशय में सूजन, ट्यूमर, डिंबवाहिनी नलिका दोष कोई अन्य संक्रामक रोग हो जाने या पुरुष के वीर्य में शुक्राणुओं की उचित संख्या न होने से सामान्य तरीके से स्त्री गर्भधारण नहीं कर पाती। |
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अगर स्त्री के संतानोत्पत्ति अंगों में आया कोई विकार है तो किसी स्वस्थ महिला का सह्योग लिया जाता है और यदि पुरुष के वीर्य में शुक्राणुओं की उचित संख्या न हो तो किसी दूसरे स्वस्थ पुरुष जिसके वीर्य में शुक्राणुओं की उचित संख्या हो उसका सह्योग लिया जाता है। यदि पुरुषों में कमी हो तो आजकल संतानहीन विवाहित स्त्रियों को कृत्रिम गर्भाधान द्वारा संतान प्राप्ति की सुविधाएं दी जाती हैं।
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कृत्रिम गर्भाधान से बच्चे में मां का अंश शत-प्रतिशत होता है तथा पिता का पूरा विश्नास भी होता है। इस विधि में बहुत ही स्वस्थ व उत्तम कोटि का वीर्य निरोग स्त्री में मासिक आरंभ होने के लगभग 13-14 दिन बाद जब ओवूलेशन हो रही हो और डिम्ब फूट जाए तब प्रविष्ट कराया जाता है तथा पूरी तरह से गोपनीय रखा जाता है। यह विधि बहुत विश्नसनीय होती है तथा इस तरह के गर्भाधान द्वारा बहुत से निःसंतान दम्पति बेझिझक होकर स्वस्थ एवं सुंदर संतान प्राप्त करके इज्जत और शान से सुखमय विवाहित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कृत्रिम गर्भाधान विधि और विस्तार से जानने के लिये इस पर क्लिक करें।
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